NEELAM GUPTA

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कहानी प्रतियोगिता के लिए देवी मां और मेरा ध्यान

एकांत ओहो ये भी होता है इस आपाधापी भरे जीवन में किसको प्राप्त हो सकता है ये 🙄🙄

पौराणिक कथा में बहुत सुना है कि जब ध्यान पर बैठते हैं तब किसी और विषय के बारे में ज्ञात तक नहीं होता । जैसे हमारे बडे बड़े साधु संत महात्मा यहां तक कि राक्षस भी , ध्यान में बैठकर बेसुध सालों तपस्या करते थे। और वह प्रभु को प्राप्त कर लेते थे ।उनसे मनचाहा वर मांगते थे ।तब उनकी तपस्या सफल होती थी । कभी कभी ये वर खुद भगवान पर भारी पड़ जाते थे 
और शिव भोले बाबा का ध्यान तो  ऐसा होता था यदि कोई उसमें दखल दे तो वह तीसरी आंख खोलकर सब कुछ  ताड़़व नृत्य कर  सब विनाश कर देते थे । इसलिए उनके ध्यान कोई भी कुदृष्टि नहीं डालता था। उनका सालों तक ध्यान साधना से हटने का इंतजार करते थे।

लेकिन एक बार जब राक्षसों ने देवताओं पर हमला किया तब उन्हें शिव भोले बाबा की याद आई ।वहीं इसी बात का समाधान कर सकते थे लेकिन उस समय वह समाधि लगाए हुए थे। तो यह समस्या आई कि उनकी समाधि को अथवा ध्यान को कौन हटाए कौन इस बात की जिनमें लिए उनको किस प्रकार शांत किया जाएगा। तब उन्होंने देवी मां की स्तुति यानी ध्यान किया । राक्षसों से लड़ना और शिव भोले को समझाना शिव देवी पार्वती के बस में था। वही उस उन्हें शांत कर सकती थी।
देवी मां ने अपनी शक्ति से सारे राक्षसों का संहार किया और पृथ्वी को और स्वर्ग को राक्षस मुक्त किया । नवरात्रों में देवी के नौ रूपों का वर्णन किया जाता है कि किस प्रकार देवी मां ने राक्षसों का संहार कर रक्त भी पीकर उनका, उनको पूर्ण रूप से विनाश किया।

पहाड़ों में बैठी मन मोहिनी रूप में माता को जब राक्षसों के दूतो ने देखा तो उनके मन मे आया यह स्वर्ग लोक से भी सुंदर अप्सरा सारी विश्व की सुंदरी हमारे महाराज शुभ निशुंभ की पत्नी होनी चाहिए उनकी महारानी होनी चाहिए ।जब दुनिया के सारे रत्न उनके पास हैं तो हे अनमोल रूप रतन भी उन्हीं के पास होना चाहिए ।इसी प्रस्ताव को लेकर वह शुभ निशुंभ के पास गए ।

उनकी बातें सुनकर शुभ निशुंभ ने उन्हें शादी का प्रस्ताव भेजा ।कहा उस सुंदरी से कहो हम से विवाह करें। शुभ निशुंभ  दोनों का संदेश उनके सेवक गण माता के पास प्रस्ताव लेकर पहुंचे ।लेकिन माता ने यह कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया कि मैंने प्राण कर रखा है जो मुझसे युद्ध में हार जाएगा। उसी से मैं विवाह करूंगी। यह संदेश उन्होंने अपने महाराज को दिया यह सुनकर सुनने से विचलित हो गए कि एक स्त्री की  इतना साहस कि वह हमको ललकारे यह काम तो हमारे चंड मुंड जैसे और रक्त बीज  जैसे छोटे राक्षस भी कर देंगे। एक स्त्री  तन से कोमल होती है उससे क्या युद्ध करना।

उन्होंने अपने दूतो को और अपने सेवकों को भेज दिया ।जैसे ही उन्होंने माता को युद्ध की ललकारा एक हुंकार से ही सब राक्षसों का वध हो गया ।बाद में शुभ निशुंभ राक्षस भी माता से युद्ध करने के लिए पधारे और सभी का  रक्त संहार करने  के बाद माता ने अपने नौ रूप बनाकर सब राक्षसों का विनाश किया ।और अंत में शुभ निशुंभ से राक्षसों को धरती से नामो निशान मिटा दिया। जब एक स्त्री  इतनी बलवान हो सकती है तो क्या मैं भी एक छोटा सा ध्यान नहीं कर सकती। यह कथा सुन मेरे अंदर भी कुछ करने की इच्छा पैदा हुई।

ये सोच सोच मैंने भी फैसला किया आज कुछ भी हो जाए।मैं भी इसका अनुभव करके रहूंगी। जब ठान लिया मन में तो सुबह ही सबको फरमान जारी कर दिया। आज मेरा मौन व्रत है कोई मुझ से बात ना करें ना ही किसी कार्य को करने के लिए कहें। आज मुझे एकांत में रह कर अध्यात्म दर्शन करने है उस प्रभु के समक्ष अपने आप को प्रस्तुत करना है।😑😑

ये सुनते ही सबसे पहले पति जी बोले।तो लाओ अपना मोबाइल ये तुम्हे सबसे ज्यादा डिस्टर्ब करेगा।इन्हे तो वैसे भी मौके की तलाश रहती है कि किस तरह से ये अपना मोबाइल त्याग दे।लेकिन मैं भी मैं हूँ। मैंने कहा नहीं यदि कोई परेशानी हुई तो इसपर वाट्स अप कर दूँगी। बोले तेरी मर्जी मैं तो ध्यान करने में तुम्हारी सहायता कर रहा था।🤣🤣🤣

चलो जी कह सुनकर सारा काम निपटा कर बैठ गयी एकांत में चिन्तन करने।जैसे ही बैठी घर की बैल बज गयी उठने को ही थी याद आया नही बच्चे देख लेंगे। बैठी रही लेकिन जब तक दरवाज़ा नही खुला अन्दर से बैचैनी होती रही।😇😇😇

चलो दुबारा बैठ गयी ।अब मोबाइल बज उठा वो भी भाई का बहुत दिनों बाद उसका फोन आया मरती क्या ना करती उसे मेसेज कर दिया आज बात ना करूँगी। फिर शान्ति से अपने अन्तर्मन को खोजने लगी।तभी मैसेज आया मेरी बहन की गुड़िया का रिश्ता तय हो गया है। लेकिन पढ़कर बधाई वाट्स अप पर ही दे दिया।और सोचा क्या आज ही सब कुछ होना है। दोनों बहन भाई परेशान इस बातूनी को आज क्या हो गया है।खैर मैसेज करके सब समझा दिया। 😔😔😔

फिर बैठी लोगों की बातें याद आने लगी।अभी कुछ दिनों किसी ने चुटकी ली कि करोना से ज्यादा प्यार की बीमारी बुरी है जो डीपी देखकर भी हो जाता है।मैने चिंतन किया कि डी पी तो भगवान की भी लगी रहती है कोई उनसे प्यार क्यु नहीं करता।🤔🤔🤔

वह तो हमेशा सब को अपनी शरण में लेने को तैयार रहते हैं उनसे लगाव करों ना क्यु इस झूठे संसार के प्यार में अपना प्यार ढूंढते हो।और मनुष्य की डी पी तो गलत भी हो सकती है क्या पता कितनी उम्र वाली या वाले लगा रखी है अभी 60 मे चल रहे और डीपी 25 वाली हो।कौन जान सकता है ये उसी इन्सान की है भी कि नहीं।😛😛😋😋

और तो और क्या बताऊँ लोग अपने नम्बर ऐसे भेजते है जैसे मैं कोई ज्योतिषी हूँ। अरे भई नही आती मुझे न्युरोलोजिकल नम्बरों से भविष्य बताना।फिर क्यु अपने नम्बर लोग दूसरों के पास जबर्दस्ती भेजते है।दिमाग खराब होता है ये सब सोचकर ।चलो छोड़ो ये टापिक भी मुझे इससे क्या।  लोगों की सोच पर लगाम थोडे ही लगा सकते है।सोचे कुछ भी हमको अपना मन सच्चा रखना है।🤫🤫🤫

अरे मैंने अपने को झिंझोड़ कहाँ खो गयी।इसी जमीं पर रहना है किसी से बैर ना पाल लेना ।यहाँ कोई भी बुरा मान सकता है हँसी मजाक में कहीं गयी बातों का भी ।मैंने भी तो यही किया है। मैं भी अपराधी हूँ। सबकी अपनी-अपनी जगह होती है।अपने अपने विचार व्यक्त करने की सबको आजादी है।😏😏

यहीं सोचते सोचते समय कहाँ निकल गया पता ना चला। प्रभु के नाम की शक्ति से अभी भी अनभिज्ञ थी।कुछ प्रभु का मन ही मन जाप किया कुछ शून्य में जाकर अपने आप से बात की कभी आज की समस्या पर विचार किया कभी बच्चो के भविष्य पर मन शान्त कहाँ होताहै निरंतर कुछ ना कुछ भाव निकलते रहते हैं। अशांत मन एक दिन में शांत नहीं होता है।😊😊☺🙏

इस संसार रूपी घर में सबके साथ मिलकर चलना है अच्छे कर्म और बुरे कर्मो के साथ। लिखने के लिए भी शान्ति चाहिए। कोई कार्य लग्न से करने के लिए चेतना में रहकर अवचेतन मस्तिष्क को लगा दो कार्य की सिद्धि के लिए। मन को कुछ ना कुछ जरूर चाहिए सोचने के लिए।😂😂😂

मम्मी मम्मी कानों में आवाज पड़ी दिल धक से रह गया चिल्लाते हुए उस ओर भागी क्या हुआ किसी को कुछ हो तो नहीं गया।आखिर माँ का मन है।चिंता करना लाजिमी है।🥰🥰

ओहो मम्मी आप का तो मौन व्रत था ना आप क्यों आए।मेरी तो बस बुक्स नही मिल रहीं थी आप भी ना कहीं भी सम्भाल कर रख देते हो।मुझे तो आदत है हर समय आप को पुकारने की ।आप भी बस आप हो तोड़ दिया अपना मौन व्रत मेरी एक आवाज़ से।🤪🤪
अब बच्चों को कौन समझाए एक इन्सान मौन व्रत रख सकता है लेकिन एक माँ नहीं। यह तो बड़े-बड़े महात्माओं के ही काम है मुझे ऐसी कुछ नारी का नहीं जो केवल इसका नाम ले सकती है लेकिन इसको महसूस करना अनमोल है जो परित्याग कर सकता है वहीं इसे महसूस कर सकता है वह ही प्रभु को पा सकता है ।

वैसे भी मेरे प्रभु तो मेरे अंदर पहले से ही विराजमान है फिर क्यों मैं इस बात से डरू कि प्रभु मुझे नहीं मिलेंगे । उनका आशीर्वाद तो हमेशा मेरे साथ है 😀😀🙏🙏


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9 Comments

Kaushalya Rani

14-Dec-2021 05:22 PM

Nice

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Barsha🖤👑

14-Dec-2021 04:53 PM

Nice penned

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Seema Priyadarshini sahay

14-Dec-2021 04:32 PM

बहुत खूबसूरत

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